Gulzar Shayari

Gulzar Shayari

 

Gulzar  Shayari Hindi Collection / गुलज़ार साहब की शायरी और ग़ज़ल

  • पहली मोहब्बत अक्सर एक बात सिखा कर जाती है,
    दूसरी जब भी करना एक हद में रहकर करना ।gulzar shayari

 

  • हर किसी के पास, अपने अपने मायने हैं..
    खुद को छोड़ सिर्फ दूसरों के लिये आईने हैं!!

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  • ये ही ख़ासियत है ज़िंदगी की..
    कर्ज वो भी चुकाने पड़ते है जो लिए ही नहीं !!

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  • वफ़ा बहुत है मुझमें!
    वफ़ादार कोई नही मिला ।।

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  • क्या खूब मजबूरी है
    गमले में लगे पेड़ों की
    हरा भी रहना है
    और बढ़ना भी नहीं।

 

  • खुली किताब और मुझमें कोई फर्क नहीं
    उसे भी कोई अधूरा पढ़ कर चला गया और मुझे भी…….!!

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  • मुझे मिट्टी में मिला दे की जुदा हो नही सकता ,
    अब इससे ज्यादा मैं तेरा हो नही सकता ……!!

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  • मेरा लिखना और तेरा पढ़ना,
    उफ्फ कितना पढ़ा लिखा इश्क़ है अपना….!

 

  • शख़्श बदला है उसने और कुछ भी नहीं…
    मरने जीने की कसमें तो वो आज भी खाता है!

 

  • दूर उन्हें जाना था ये एहसास तो था लेकिन,
    बिछड़ना इस कदर होगा ये ख्याल ना आया I

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  • एक ही शख्स होता है कायनात में हकदार…
    इश्क़ की राह पर यूँ ही हर कोई अजीज़ नही होता…!

 

  • इश्क़ की मंज़िल नही होती साहेब,
    बस सफ़र ही खूबसूरत होता है…!!

 

  • देख कर इंसान की बेचारगी..
    शाम से पहले परिंदे सो गए..!!

 

  • पी ली शराब, लो सिगरेट भी सुलगा ली
    तुम्हारे वास्ते अब जहर भी पीयें क्या ….

 

  • अगर उम्र के साथ किसी की झुर्रियां भी प्यारी
    लगने लगे तो समझ लेना वह मोहब्बत है …!!

 

  • इस जहान में कौन किसका है हमने सबकी ईमानदारी देखी है,
    हमको भी इश्क़ करती थी कोई, हाँ हमने एक लड़की खानदानी देखी है!

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  • अगर आपका दिल किसी के लिए फिक्र महसूस करता है तो जरूरी नहीं कि वो प्यार ही हो,
    ,अगर आपको कोई अच्छा नहीं लगता तो जरूरी नहीं कि वो बेकार ही हो,अगर
    कोई वादा करके भूल जाए तो जरूरी नहीं कि वो सरकार ही हो

 

  • अब यादों में मेरे न आया करो,
    कीमती वक़्त अपना यूं न जाया करो….

 

  • मत रिश्ते बनाओ मतलब के वास्ते,
    कभी ईश्क के कायदे भी निभाया करो…

 

  • मुझको रास आ गयी मेरी तन्हाईयां,
    अब फासलों से मुझे न डराया करो….

 

  • ठहरने न पाए राहों में अँधियारा,
    चिराग हौसलो के, मेरी तरह जलाया करो….

 

  • लोग हाथों में ले,घूमते है नमक,
    जख्म अपने न सबको दिखाया करो…

 

  • अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे,
    इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे,
    उनसे क्या गिला करें.. भूल तो हमारी थी
    जो बिना दिलवालों से ही दिल लगा बैठे

 

  • आज परेशान हू कल सुकून आएगा,
    खुदा तो मेरा भी है कब तक रुलायेगा!

 

  • वो पैरों में काला धागा नहीं पहनती साहेब..
    केवल पायल पहन कर ही कहर ढाती है……..! ?

 

  • जिस दिन मोहब्बत जतानी हो उसे,
    उस दिन काजल गहरा लगाती है वो!

 

  • जिस दिन मोहब्बत जतानी हो उसे,
    उस दिन काजल गहरा लगाती है वो!

 

  • हवा सी थी वो,
    आई ओर चली गई!

 

  • तरकीबे हजार लगाई उसे मनाने की ,
    उसने भी कसम खायी थी नाराज रहने की!

 

  • भुल जाना उसे मुश्कील तो नहीं है लेकिन,,,,,,
    काम आसान भी हम से कहां होते है,,,,,

 

  • हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,
    हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह….!

 

  • रखकर तेरे होने पे यकीन ऐ_खुद…!!
    हम भी मोहब्बत किसी से बेपनाह कर बैठे..!!!

 

  • अहमियत हैसियत को मिलती है,
    और हम हैं कि जज्बात लिए फिरते हैं…..!

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  • शिकवे भी हों, शिकायत भी हों,मेरा ऐतबार कर लेना…..!
    नज़रों से कभी हो जाऊं ओझल, मेरा इंतजार कर लेना…….!!

 

  • युग युग का फर्क है साहब,
    एक वो रावण था जिसने एक औरत को उठा कर के भी हाथ तक नहीं लगाया,
    और एक आज के दरिंदे है जो उसी औरत को जिंदा तक जला देते हैं!.!

 

  • वो कहती थी कि इन सब दोस्तों के चक्कर में एक दिन मारा जाएगा,
    मैंने कहा कि इन यारों के बिना जी कर भी क्या करना है!

 

  • अच्छा चलता हूँ,
    मतलब पड़े तो याद करना

 

  • अकेला कैसे रहा जाता है,
    कुछ लोग ये ही सीखाने आया करते हैं!

 

  • तुझे मांगा है कितना कभी आना मेरे शहर
    दरगाह के धागे बतायेंगे बेबसी हमारी..!!

 

  • मेरी दुआओं का मुकम्मल होना
    और तेरा मुस्कुराना एक ही बात है.

 

  • देखा है जिंदगी को कुछ इतने करीब से
    लगने लगे हैं तमाम चेहरे अजीब से।

 

  • “मोहब्बत” की तरह
    “नफरत” का भी साल में एक ही दिन तय कर दो
    ये रोज़-रोज़ की नफरतें अच्छी नहीं लगतीं.

 

  • उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है,
    उनके इंतजार में दिल तरसता है,
    क्या कहें इस कम्बख्त दिल को..
    अपना हो कर किसी और के लिए धड़कता है।

 

  • बड़े अजीब दुनिया के मेले हैं,
    दिखती तो भीड़ है,
    पर चलते सब अकेले है!

 

  • जनाब हमारी क्या बराबरी करोगे तुम,
    हमने तो मजाक करना भी जिंदगी से सीखा है!

 

  • जी भर के गुस्सा निकाल लो तुम मुझ पर,
    क्या पता मेरे जैसा बेजुबान कभी कहीं और ना मिले!

 

  • मुझे पसंद हो तुम ऐसे,
    किसी टपरी की चाय हो जैसे!

 

  • रोकने की कोशिश तो बहुत की पलकों ने, मगर,
    इश्क में पागल थे आँसू, ख़ुदकुशी करते चले गए….!

 

  • अब जब कुछ बचा ही नहीं खोने को
    जो हो रहा है होने दो!

Gulzar Ki Shayari

  • कोई समझे तो
    एक बात कहूँ साहब..,
    तनहाई सौ गुना बेहतर है
    मतलबी लोगों से..!

 

  • सारा जमाना तेरे रुखसार पर फिदा हैं,
    बस हम अकेले तेरे रूह के दीवाने हैं !

 

  • आज क्यों तकलीफ होती है तुम्हें बेरुखी की,
    तुम्ही ने तो सिखाया है कैसे दिल जलाते हैं..!!

 

  • याद आए ,तो इस कदर आए,
    चाँद जब निकला,तुम नज़र आए!

 

  • होता होगा तुम्हारे यहां घड़े का पानी मीठा,
    हमारे यहां आज भी इश्क़ से मीठा कुछ नहीं!

 

  • आसानी से टूट जाऊ, वो इंसान थोड़ी ना हू,
    सब को पसंद आ जाऊ, चाय थोड़ी ना हू!

Gulzar Ki Shayari

  • जाया ना कर अपने अल्फ़ाज़ हर किसी के लिए…
    बस ख़ामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है।।

 

  • ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद ऐ दोस्त
    कसम से लोग खुबसूरत बहुत है पर वफादार नहीं

 

  • माना उदासियों में हूँ इन दिनों,
    फिर भी तुम्हें सोचकर मुस्कुरा देता हूँ.

 

  • कोई तेरा साथ दे न दे तो कोई ग़म ना करना,
    में खुद से बड़ा दुनिया में कोई हमसफ़र नहीं होता।

 

  • सब्र इतना रखो कि इश्क बेहुदा न लगे।
    खुदा महबूब बन जाए पर महबूब खुदा न बनें।

 

  • बुरे वक़्त में खुद का विश्वास बनो,
    लड़ो ऐसे कि कल इतिहास बनो !!

 

  • क्या तुम उस वक़्त मिलने आओगे ?
    साँस जब घर बदल रही होगी……

 

  • ना चाँद अपना था और ना तू अपना था …
    काश दिल भी मान लेता ….की सब सपना था …

 

  • जिस दिन…. तेरे हाथो की पकड़ ढीली पड़ी थी
    समझ गया था तभी कि अब रास्ते बदलने वाले है।

 

  • तुम क्या जानो हाल हमारा,
    एक तो शहर बन्द ऊपर से ख्याल तुम्हारा ।

 

  • किसी ख़ुशबू का तकाज़ा साँसें कर रही हैं,,
    कौन जल रहा है अन्दर संदल की तरह…❤️

 

  • तेरी खामोशी में ढूँढ लेता हूँ मुहब्बत…..
    दिल जिद्द नही करता अब लफ्जों
    की…!!!

 

  • एक उमर बीत चली है उन्हें चाहते हुए,
    वो आज भी बेखबर है कल की तरह..

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